कैलाश पर्वत एक रहस्यमय: कैलाश पर्वत एक ऐसा स्थान जो रहस्यों से भरा हुआ है। एक समय की बात है साल 2001 में चीन सरकार ने कुछ ऐसा देखा कि उन्हें कैलाश पर्वत पर चढ़ना प्रतिबंद लगा दिया। लेकिन ऐसा क्या हुआ था उस दिन क्यू आज तक एक ही इंसान उस दिन तक चढ़ गया है। जो भी इस पर्वत पर चढ़ने की कोशिश करता है उसकी दो साल की भीतर मौत हो जाती है और सबसे रशीमय बात यह है कि जो इसपे चढ़ाई करता है उसकी उमर दोगुनी रफ़्तार से क्यू बढ़ती है। क्या सच में कैलाश पर्वत के आला संथाला नाम का एक प्राचीन शहर छुपा हुआ है अमेरिकी संस्था नासा ने इस पर्वत पे कुछ ऐसा देखा कि उनके वैज्ञानिको के होश उड़ा दिए और जब चीन ने कैलाश पर्वत पे हेलीकॉप्टर भेजा तो उसके साथ क्या हुआ आज हम सभी रहस्यों को आज हम चर्चा करेंगे।
आख़िर कैसे कैलास पर्वत पर चीन का अधिकार हुआ: कैलाश पर्वत एक रहस्यमय
सन् 1962 भारत और चीन के बीच विवाद भारी युद्ध में तफदिल हो गई और भारत को भारी नुक्सान उठाना पड़ा चीन ने भारत पर लगभग 72000 मिल जमीन पर कब्ज़ा कर लिया इसी दौरन कैलाश पर्वत का क्षेत्र भी चीन के नियन्त्रण में चला गया। 1962 युद्ध के बाद जब भारत का पूरा संसद सदमा था तब देहरादून के एक संदन महाबीर त्यागी ने जवाहर लाल नेहरू से एक ऐसा सवाल पूछा जो आज भी इतिहास के पन्नो में दर्ज है उनको कहा देखते ही देखते चीन ने हमारी 72000 मिल जमीन को अपने कब्जे में ले लिया लिया आप उन्हें कब दिला रहे हैं आज तक उसका जवाब नहीं मिला आज भी लोगों के दिलों में गूंजता है, नेहरू जी ने कहा जो जमीन चली गई ऊ चली गई वैसे भी ऊ भंजर था उसमें एक घाव के तिलका भी नहीं उगता है इसपे महाबीर त्यागी ने गुस्सा हो गया और अपना गांजा सर उनको तरफ कर के बोला यहां भी कुछ नहीं उगता क्या मैं इसे काटवा दूं। उस दौर में भी ये चर्चा होती थी कि कैलाश मानसरोवर का जो क्षेत्र है उसको वापस लेने की चर्चा होनी चाहिए या दुर्भाग्य था कि सरदार पटेल का निधन हो गया और नेहरू जी पर दबाव बनाने वाला और कोई नहीं था।
कैलाश पर्वत की उचाई 6638 मीटर है आज तक इस पर्वत पर एक इंसान को छोड़ कर आज तक इसपे कोई फतह हासिल नहीं कर पाया।प्राचीन कथाओं के अनुरूप कैलाश पर्वत पे एक कुबेर का खजाना वाला नगरी है। ऐसा मन जाता है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में अच्छा कर्म करता है उन्हें कैलाश की नगरी में उन्हें आत्मा का शांति मिलती है। यही कारण है एक इसे एक रहस्यमय प्रवत मन जाता है। समुद्र तल से 6718 मीटर ऊंचा कैलाश पर्वत हिंदू, जैन और बौद्ध के लिए हिंदू धर्म की महिमा है यह भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है जो कि भगवान शिव यहां पार्वती के साथ इस पर्वत पर रहते हैं और बौद्ध धर्म के अनुयाई मानते हैं भगवान बुद्ध का स्थान है और यही जैन धर्म का लोग मानते हैं कि अष्टपद है जन ऋषभ देव ने ध्यान किया था।
कैलाश पर्वत एक रहस्य ही नहीं बल्कि आस्था का भी प्रतीक है। साल था 1999 जब रूस के विशेसग्या मुल्दासिफ़ के याह रहस्य की जनने की कोशिश की और अपने समय के साथ उस समय की तरफ आगे बढ़ते हैं और वहा लमों से मुलाकात भी की और अनहोने ने निश्कर्ष निकाला कि कैलाश पर्वत एक मनय निर्मित एक पिरामिड जैसा है.अनहोन लौटे समय बता कि जब हमारी टीम वापस लौट रही थी एक वाला कुछ रहस्मई आवाज सुनायी देती है एक रात हमने अपने सहयोगियो के साथ पत्थर गिरने का साफ आवाज सुनाई दी यह आवाज कैलाश पर्वतों के पेट के भीतर पिरामिड से आ रही थी हमें ऐसा लगा इसके अंदर कुछ लोग रहते हैं। समय के तेज़ी से बीतने का प्रमाण इस क्षेत्र में देखा जा सकता है और यहाँ बाल और नाखून भी तेज़ी से बढ़ते हैं और त्वचा भी सामान्य से जल्दी बूढ़ी दिखने लगती है, कैलाश प्रतीक के साथ भी यही होता है, समय तेज़ी से आगे बढ़ता है। उन्होंने एक बार उससे एक और बात कही थी, एक साईबेरियाई परिवर्तनारोही बताय कि कुछ परिवर्तनोही एक निश्चित बिंदु तक पहुंचने में सफल हुए थे जैसे ही वह बिंदु था, वहां अचानक बुचे दिखाई देने लगे एक साल के बाद अनलोग का उमर तेजी से बढ़ने लगा और बूढ़े होने से अनलोगो को मृत्यु हो गई.
अब आगे बात करते हैं कैलाश पर्वत के पास झील की एक मानसरोवर और दशहरा रक्षक ताल झील ये सोनो झील एक दूसरे के पास स्थित है लेकिन अलग है मानसरोवर झील जिसे दुनिया के सबसे ऊंचे मीठे पानी का झील माना जाता है इसका आकार गोल है जैसा सूर्य की आकृति है।सबसे हेयरां करने वाली बात यह है कि इतना उचाई और ठंड के बाद ये कभी नहीं जमते। और दूसरी या रक्षक झील है जो दुनिया के ऊंचे खरे पानी का झील कहा जाता है इसका पानी इतना खरा है कि यहां कोई जीवन पनप नहीं सकता है यहां झील हमेशा उथल-पुथल में रहती है। कहते हैं रक्षक ताल का निर्माण खुद रावण ने किया था कहा था कैलाश पर्वत पे जेन से पहले उसने यहां तालाब में आसन किया था और वही भगवान शिव का ध्यान लगाया। पौराणिक कथाओ के अनुसर रावण ने जैसे ही ताल में दुभाकी लगाई उसपे असुरो का कब्ज़ा हो गई यह झिल नकरात्मक भवनो से भर गई और रावण का सोच में भी बदलो आ गया सोचने वाली बात है एक ही भागौलिक क्षेत्र में होते हुए ये दोनो झील अलग क्यू है।
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